हिंदू धर्म में काशी को एक पवित्र शहर माना जाता है। यूं तो काशी की पहचान भोले नाथ से है। यहां के कण-कण में भगवान शंकर बसे हुए हैं। हजारों वर्ष पुराने शिवलिंग जो सिद्ध पीठ श्री जागेश्वर महादेव मंदिर में शिवलिंग की लंबाई हर महाशिवरात्री को जौ के बाराबर अपने आप बढ़ जाती है।
मंदिर के पूजारी स्वामी मधुर कृष्ण के अनुसार यहां की मान्यता है कि इसके दर्शन, स्पर्श एवं पूजन से सभी प्रकार की मनोकामना पूरी हो जाती है और यह मेरा स्वंय अनुभव भी रहा है। अगर कोई इस शिवलिंग का तीन साल तीन महीने दर्शन कर ले या सिर्फ तीन महीने ही दर्शन कर ले तो उसके सारे कष्ट दूर होने के साथ हर मनोकामना भी पूरी हो जाती है।
यह भव्य शिवलिंग जागेश्वर महादेव नाम से विख्यात है। मान्यता है कि यहां भगवान शिव स्वयं माता पार्वती के साथ विराजते हैं। मंदिर के महंत ने बताया कि जागेश्वर महादेव की महिमा अपार है। इनके दर्शन मात्र से ही भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
स्कन्दपुराण काशी खण्ड के अनुसार जिस समय भगवान शिव काशी को छोड़कर चले गए थे उसी दिन जागीषव्य मुनि ने यह प्रतिज्ञा ली थी कि भगवान शिव के दर्शन के बाद ही जल ग्रहण करूंगा। मुनि के कठोर तप से भगवान शिव प्रसन्न हो गए और नंदी को लीलाकमल के साथ भेजा। लीलाकमल पुष्प के स्पर्श करते ही मुनि का क्षीण शरीर पूरी तरह ठीक हो गया और बाद में मुनि ने शिव से यह वरदान मांगा कि आप यहां के शिवलिंग में हमेसा उपस्थित रहें। इसके बाद शिव ने इन्हें यह वरदान दिया कि यह शिवलिंग दुर्लभ होगा जिसके दर्शन से मनुष्य की हर कामना पूरी होगी साथ ही तुम मेरे चरणों के समीप वास करोगे।