इजराइल- ईरान में बढते तनाव के देखते हुए भारत ने अपने नागरिकों को ईरान से निकालना शुरू कर दिया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने बताया है कि कुछ भारतीय नागरिकों को आर्मेनिया बॉर्डर के रास्ते देश से बाहर निकाला गया है। इस बीच खबर आ रही है कि उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले के रहने वाले 300 से ज्यादा छात्र और धर्मगुरु ईरान में फंस गए हैं.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आर्मेनिया और यूएई के विदेश मंत्रियों से बात की है। बता दें कि इजरायल के मिसाइल हमलों के चलते ईरान में हालात गंभीर हैं. ईरान में 1500 छात्र और छात्राए समेत करीब 10 हजार भारतीय फंसे हैं। ईरानी विदेश मंत्रालय ने कहा था कि मौजूदा हालात में देश के एयरपोर्ट भले ही बंद हैं लेकिन लैंड बॉर्डर्स खुले हुए हैं। ताकि लोग बाहर जा सकें.” बताया जा रहा है की छात्रों को आर्मेनिया के रास्ते से निकाला जा रहा है।
विदेशी नागरिकों को ईरान छोड़ने से पहले राजनयिक मिशनों के जरिए ईरान के जनरल प्रोटोकॉल विभाग को अपना नाम, पासपोर्ट का नंबर, यात्रा वाली वाहन की जानकारी, देश से निकलने का समय और जिस बॉर्डर से जाना चाहते हैं, उसकी जानकारी पहले से देनी होगी।
बता दें इजराइली हमलों में ईरान में 224 लोग मारे गए हैं। 1,277 से ज्यादा घायल हैं। वहीं ईरान के हमलों से इजराइल में 24 लोग मारे गए हैं, 600 से ज्यादा घायल हैं।
आर्मेनिया को ही क्यूं ?
ईरान का बॉर्डर 7 देशों से लगता है। ये देश पाकिस्तान, अजरबैजान, अफगानिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, आर्मेनिया, तुर्किये और इराक हैं। आर्मेनिया का बॉर्डर ईरान के प्रमुख शहरों से कम दूरी पर है। आर्मेनिया राजनीतिक रूप से स्थिर है और बता दें भारत से उसके दोस्ताना संबंध भी हैं। वहां से फ्लाइट ऑपरेशन तेजी से संभव है, क्योंकि येरेवन एयरपोर्ट पूरी तरह चालू है। आर्मेनिया के साथ भारत के संबंध काफी अच्छे हैं। दोनों देशों के बीच रक्षा समझौते भी हुए हैं।