भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान विराट कोहली और उनकी पत्नी अनुष्का शर्मा मथुरा के वृंदावन पहुंचे। मंगलवार सुबह दोनों प्राइवेट टैक्सी से वृंदावन पहुंचे. इस बीच वह करीब 2 घंटे से ज्यादा आश्रम में रुके. उन्होंने 15 मिनट करीब संत प्रेमानंद महाराज से मुलाकात की, दोनों ने प्रेमानंद महाराज को दंडवत प्रणाम कर आशीर्वाद लिया।
प्रेमानंद महाराज ने विराट कोहली और अनुष्का से पूछा- प्रसन्न हो? इस पर विराट ने मुस्कुराकर कहा- हां। महाराज ने दोनों को आशीर्वाद दिया- जाओ, खूब आनंदित रहो, नाम जप करते रहो। इस पर अनुष्का ने पूछा- बाबा क्या नाम जप से सबकुछ पूरा हो जाएगा? महाराज ने कहा- हां, सब पूरा होगा। बता दें विराट कोहली ने एक दिन पहले ही सोमवार को ही टेस्ट क्रिकेट से सन्यास लेकर पूरी दुनिया को हैरान दिया है. विराट कोहली का संत प्रेमानंद महाराज से मिलने का यह तीसरा दौरा है।
प्रेमानंद महाराज के आश्रम से जाने के लगभग आधे घंटे बाद अनुष्का और विराट लौटे। आश्रम में 2 घंटे से ज्यादा ठहरकर वे सुबह 10 बजे वहां से निकले। इस दौरान दोनों ने आश्रम के कामकाज को देखा-समझा। प्रेमानंद महाराज ने कहा- वैभव मिलना कृपा नहीं है। यह पुण्य है। भगवान की कृपा अंदर का चिंतन बदलना है। इससे आपके अनंत जन्मों के संस्कार भस्म होते हैं और अगला जन्म बड़ा उत्तम होता है। भगवान जब कृपा करते हैं तो संत समागम देते हैं। दूसरी कृपा जब होती है तो विपरीतता देते हैं और फिर अंदर से एक रास्ता देते हैं। यह शांति का रास्ता नहीं। भगवान वो रास्ता देते हैं और जीव को अपने पास बुला लेते हैं। बिना प्रतिकूलता के संसार का राग नष्ट नहीं होता।
संत प्रेमानंद महाराज ने कहा कि हम अपने प्रभु का विधान बताते हैं। जब प्रभु किसी पर कृपा करते हैं, ये वैभव मिलना कृपा नहीं है। ये पुण्य है। ये वैभव बढ़ना, यश बढ़ना भगवान की कृपा नहीं मानी जाती है। भगवान की कृपा मानी जाती है अंदर का चिंतन बदलना। जिससे आपके अनंत जन्मों के संस्कार भष्म होकर, अगला जो होगा, वो उत्तम होगा। संत प्रेमानंद महाराज ने समझाया कि अंदर का चिंतन बन गया बह्यमुखी यानि बाहर। बाहर यश, कीर्ति, लाभ और विजय से सुख मिलता है। भगवान जब कृपा करते हैं, तो संत समागम देते हैं। दूसरी जब कृपा होती है, तो विपरीतिता देते हैं। फिर अंदर से एक रास्ता देते हैं कि ये मेरा रास्ता है।
संत प्रेमानंद महाराज ने आगे कहा कि बिना प्रतिकूलता के संसार का राग नष्ट नहीं होता है। किसी को भी वैराग्य होता है, तो संसार की प्रतिकूलता देखकर होता है। सबकुछ हमारे अनुकूल है, तो हम आनंदित होकर उसका भोग करते हैं। जब हमारे अंदर प्रतिकूलता आती है, तब सोचते हैं कि इतना झूठा संसार है। तो अंदर से भगवान रास्ता देते हैं। कि ये सही है। भगवान बिना प्रतिकूलता के इस संसार को छुड़ाने का कोई अवसर नहीं देते हैं। आज तक जितने महान संत हुए हैं और उनका जीवन बदला है, तो प्रतिकूलता का दर्शन कर बदला है।
विराट कोहली ने हाल ही मे को टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की थी। कोहली ने इंस्टाग्राम पर लिखा था “14 साल हो गए हैं जब मैंने पहली बार टेस्ट क्रिकेट में बैगी ब्लू पहना था। ईमानदारी से कहूं तो मैंने कभी नहीं सोचा था कि यह प्रारूप मुझे इस तरह के सफर पर ले जाएगा। इसने मेरी परीक्षा ली,मुझे पहचान दिया और मुझे एक ऐसे सबक सिखाए जिन्हें मैं जीवनभर अपने साथ रखूंगा।
कोहली ने कुल मिलाकर 123 टेस्ट मैच खेले और इसकी 210 पारियों में 46.85 की औसत से 9 से अधिक रन बनाए। इसमें 30 शतक लगाए है और 31 अर्धशतक जड़े है। टेस्ट करियर में विराट कोहली ने कुल 1027 चौके और 30 छक्के लगाए। कोहली तीनों प्रारूप में टीम इंडिया की कमान भी संभाल चुके हैं।