सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर द्वितीय के परपोते की विधवा बताने वाली सुल्ताना बेगम की याचिका को खारिज कर दिया है। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने सुल्ताना बेगम की याचिका पर सवाल उठाया और पूछा कि सिर्फ लाल किला क्यों, फतेहपुर सीकरी और ताजमहल और पर कब्जा क्यों नहीं चाहिए, वो भी तो मुगलों ने बनवाए हैं।
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुल्ताना बेगम की इस याचिका को “बेतुका” बताया है। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और जस्टिस संयज कुमार की बेंच ने याचिकाकर्ता सुल्ताना बेगम की याचिका खारिज कर दी और कहा कि याचिका पूरी तरह से गलत है. सुल्ताना बेगम का दावा है कि वह बहादुर शाह जफर द्वितीय के परपोते की विधवा है. बेंच ने कहा, ‘सिर्फ लाल किला ही क्यों,फतेहपुर सीकरी और ताजमहल और पर कब्जा क्यों नहीं चाहिए, वो भी तो मुगलों ने बनवाए हैं। रिट याचिका पूरी तरह से गलत है इसलिए इसे खारिज किया जाता है। इससे पहले, सुल्ताना बेगम की याचिका दिल्ली हाई कोर्ट खारिज कर चुका है। हाई कोर्ट के फैसले को सुल्ताना बेगम ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस याचिका को एक झटके में खारिज करते हुए कहा कि ये पूरी तरह से बे-सिर-पैर वाली याचिका है। साथ ही, ये भी कहा कि ये सुनवाई के लायक नहीं है।
बता दें लाल किला 17वीं सदी का मुगलकालीन किला है। यह दिल्ली की सबसे खास ऐतिहासिक इमारतों में से एक है। सुल्ताना बेगम ने मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर द्वितीय के परपोते की विधवा बताने के साथ-साथ लाल किले की असली मालकिन होने का दावा किया है, बेगम का कहना है की 1857 की पहली स्वतंत्रता की लड़ाई के बाद अंग्रेजों ने मुगलों से लाल किला (Red fort) छीन लिया था। उस वक्त के आखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर ने अंग्रेजों के खिलाफ बगावत का साथ दिया था। इसी वजह से अंग्रेजों ने उन्हें देशनिकाला कर उनकी संपत्ति और जमीन-जायदाद भी छीन ली। सुल्ताना बेगम का कहना है यह संपत्ति उनके पूर्वज बहादुर शाह जफर द्वितीय से विरासत में मिली थी।
2021 में उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट में भी अर्जी दी थी। तब सुल्ताना बेगम ने कहा था कि 1960 में सरकार ने उनके (अब दिवंगत) पति बेदार बख्त के दावे को माना था। बेदार बख्त, बहादुर शाह जफर द्वितीय के वंशज और वारिस थे। इसके बाद सरकार ने उन्हें पेंशन देना शुरू कर दिया था। 1980 में उनके इंतकाल के बाद यह पेंशन सुल्ताना बेगम को मिलने लगी। सुल्ताना बेगम का कहना था कि यह पेंशन उनकी अपनी जरूरतों के लिए काफी नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने ‘गैरकानूनी’ तरीके से लाल किले पर कब्जा कर लिया है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार उन्हें पर्याप्त मुआवजा नहीं दे रही है। यह उनकी संपत्ति और ऐतिहासिक महत्व के हिसाब से सही नहीं है। सुल्ताना बेगम का कहना था कि यह उनके मौलिक अधिकारों और संविधान के अनुच्छेद 300A का उल्लंघन है।