देश का कर्नाटक राज्य इन दिनों एक बड़ी समस्या से जूझ रहा है। कर्नाटक सरकार ने बेंगलुरु में अगले पांच सालों तक कोई भी नई बिल्डिंग या अपार्टमेंट बनाने पर बैन लगाने का विचार कर रही है। सरकार यहां बढ़ते जल संकट से निपटने के लिए ऐसा कर रही है।
कर्नाटक के उप-मुख्यमंत्री जी परमेश्वरा ने गुरुवार को कहा कि जिस हिसाब से अपार्टमेंट्स या फ्लैट्स बन रहे हैं, उस हिसाब से लोगों को पानी जैसी बुनियादी सुविधा नहीं मिल पा रही।उन्होंने कहा कि जहां शहर में बड़ी संख्या में अपार्टमेंट्स तो बन रहे हैं लेकिन उन्हें बेचते वक्त पीने का पानी या ऐसी ही दूसरी सुविधाएं उपलब्ध कराने की जवाबदेही नहीं ली जा रही।
कर्नाटक सरकार की यह घोषणा इसलिए बहुत अहम है क्योंकि बेंगलुरु और चेन्नई जैसे महानगर भीषण जलसंकट से गुजर रहे हैं। इन शहरों से यहां मौजूद सभी जल स्रोतों का अनियंत्रित तरीके से इस्तेमाल कर लिया है, तो कुछ झीलें और नदियां सूख गई हैं। इन शहरों में तेजी से माइग्रेशन बढ़ने और अनियोजित तरीके से लोगों और एन्क्रोचमेंट बढ़ने से भी यहां जलसंकट विकराल हुआ है।
समस्या ये भी है कि बेंगलुरु में अथॉरिटीज ने यहां के जलस्रोतों की स्थिति सुधारने के बजाय आसपास के इलाकों के स्रोतों का दोहन कर लिया है, जो समस्या को और गंभीर बनाता है।कर्नाटक में वैसे भी सूखती नदियों-झीलों और बारिश की कमी के चलते पानी की विकराल समस्या खड़ी है। यहां लोग पानी के लिए बोरवेल और टैंकरों पर निर्भर हैं लेकिन उनका पानी भी शुद्ध नहीं है। इससे स्वास्थ्य को खतरा है। लोगों में पहले ही स्किन की समस्याएं देखी जा रही हैं।
सूखे के हालात और वजह
पूरे राज्य में सूखे के हालात और पीने के पानी की किल्लत को देखते हुए कर्नाटक सरकार बेंगलुरु में अपार्टमेंट के निर्माण में पांच साल तक के लिए बैन पर विचार कर रही है। उप मुख्यमंत्री जी. परमेश्वर ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, 'हम फैसला लेने से पहले बिल्डरों और डिवेलपरों से बात करेंगे।'
उन्होंने बताया, 'हम निर्माण के अप्रूवल पर 5 साल तक के बैन का विचार कर रहे हैं क्योंकि शहर में बड़ी संख्या में अपार्टमेंट बन चुके हैं और बिना पर्याप्त पानी को सुनिश्चित किए उन्हें लोगों को बेच भी दिया गया है।' परमेश्वर बेंगलुरु विकास के मंत्री भी हैं, उन्होंने कहा कि इसी ट्रेंड का नतीजा है कि अधिकतर अपार्टमेंट मालिक पीने के पानी के लिए वॉटर टैंकर पर निर्भर हो गए हैं। दूसरी ओर डिवेलपर्स ने परमेश्वर के इस बयान पर हैरानी जताई है।
सरकार के प्रस्ताव का विरोध भी हो चुका है
डेप्युटी सीएम का बयान ऐसे समय पर आया है, जब बेंगलुरु में जल संकट से निपटने के लिए लिंगानामक्की बांध से पानी खींचने के राज्य सरकार के प्रस्ताव पर कड़ी नाराजगी जाहिर की जा रही है। सरकार ने लिंगनामक्की बांध से बिजली उत्पादन के बाद समुद्र में बहने वाली नदी की जांच करने के लिए एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) शुरू की थी। हालांकि काफी विरोध के बाद परमेश्वर ने कहा था कि डीपीआर मिलने के बाद ही अगला चरण लिया जाएगा।
'सुधार होगा तो पांच साल में बैन हटा देंगे'
परमेश्वर ने कहा कि एक बार अपार्टमेंट के बैन होने के बाद सरकार पानी की सप्लाइ सुधारने के लिए नए प्रॉजेक्ट पर ध्यान देगी। उन्होंने कहा, 'कावेरी वॉटर सप्लाइ प्रॉजेक्ट का पांचवा चरण बेंगलुरु में पानी के लिए बढ़ रही डिमांड पर काबू पाने के लिए काफी नहीं है। हम दूसरे विकल्प की ओर भी देख रहे हैं। अगर पांच साल में चीजें सुधर गईं तो हम बैन हटा देंगे।'
नदियां सूख चुकी हैं, मानसून पर नज़र
राज्य सरकार अब तक 3122 क्षेत्रों को भारी जलसंकट से ग्रस्त घोषित कर चुकी है, और इस संख्या में लगातार इजाफ़ा हो रहा है। एक चार्ट राज्य के प्रमुख जलस्रोतों में जलस्तर के संकट की सूचना देता है। कोस्टल बेल्ट की सभी प्रमुख नदियों नेत्रावती, फाल्गुनी, स्वर्णा, चक्रा, वारही, श्रावती, अघनाशिनी और काली में प्रवाह रुक चुका है।
साथ ही, ग्राउंडवाटर लेवल यानी भूमिगत जलस्तर 30 से 40 मीटर तक नीचे जा चुका है, जो मेंगलुरु के जलस्तर की तुलना में ज़्यादा खतरनाक स्थिति है। उत्तर कर्नाटक को अब पूरी उम्मीद बारिश से है। अगर मानसून जल्दी आता है तो उत्तर कर्नाटक को उम्मीद रहेगी कि उन्हें महाराष्ट्र से पानी मिले।