[Edited By: Arshi]
Friday, 7th January , 2022 12:26 pmउच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने आज ओबीसी (Other Backward Cast) के लिए 27 प्रतिशत और ईडब्ल्यूएस यानी आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (Economic Weaker Section) के लिए इस वर्ष के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण को मंजूरी देने के साथ चार महीने की देरी के बाद मेडिकल प्रवेश फिर से शुरू होगा. इस वर्ष के लिए गरीब परिवारों के छात्रों के लिए ₹8 लाख आय मानदंड की भी अनुमति दी गई है.
45,000 से अधिक जूनियर डॉक्टर (Junior Doctors) इस निर्णय के बाद कार्यबल में शामिल हो सकते हैं, जो कि देश में कोविड के मामलों में भारी उछाल के कारण आता है; भारत में पिछले 48 घंटों में दो लाख से अधिक मामले सामने आए हैं. पिछले 24 घंटों में 1,17,100 मामले सामने आएं, कोरोना के मामले बढ़कर 3,71,363 हो चुके हैं वहीं, 302 लोगों की मौत हुई.
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना की बेंच ने कहा, 'हम दो दिनों से इस मामले की सुनवाई कर रहे हैं, हमें राष्ट्रहित में काउंसलिंग शुरू करनी चाहिए. पीठ ने कहा कि भविष्य में दाखिले के लिए आठ लाख रुपये आय मानदंड की वैधता पर विस्तृत सुनवाई दायर याचिकाओं के अंतिम निर्णय के अधीन होगी, जिन्हें 5 मार्च को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है.
एनईईटी-पीजी, या राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (Graduation) 100 से अधिक निजी और मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए मेडिकल छात्रों के लिए एक योग्यता और रैंकिंग परीक्षा है. काउंसलिंग अक्टूबर में शुरू होनी थी, लेकिन ओबीसी और गरीब छात्रों के लिए क्रमश: 27 प्रतिशत और 10 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा करने वाली सरकार की 29 जुलाई की अधिसूचना को चुनौती देने वाली शीर्ष अदालत में याचिका दायर होने के बाद इसमें देरी हुई.
गुरुवार को कोर्ट ने दोनों पक्षों की अंतिम दलीलें सुनीं. सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वह भ्रम को दूर करना चाहते हैं कि संशोधित मानदंड "खेल के नियमों को बीच में ही बदल देंगे" और कहा "... इस चुनौती का विषय 2019 से पहले से ही लागू है". यह याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान के संदर्भ में था, जिन्होंने कहा कि जुलाई की अधिसूचना ने छात्रों को प्रभावित किया था क्योंकि इसे परीक्षा की अधिसूचना के बाद पेश किया गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने इस साल मेडिकल प्रवेश पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए एनईईटी-पीजी परीक्षा के लिए ओबीसी समुदाय के लिए 27 प्रतिशत और ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) श्रेणी के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की वैधता को बरकरार रखा है.
ईडब्ल्यूएस के लिए इस शैक्षणिक वर्ष के लिए 8 लाख रुपये वार्षिक आय के मौजूदा मानदंड को बरकरार रखा गया है. ईडब्ल्यूएस आरक्षण पर विस्तृत सुनवाई मार्च में होगी, जब अदालत ईडब्ल्यूएस कोटा की वैधता पर विचार करेगी.