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फिल्मी नहीं ये रीयल स्टोरी: बीवी की लाश पर मक्खन लगाकर भूनने वाला हो गया कोर्ट से बरी, पढ़िए 'दिल्ली-तंदूर कांड' की पूरी दास्तां

[Edited By: Admin]

Tuesday, 25th June , 2019 02:18 pm

हिन्दुस्तान में एक से एक सच्ची कहानियां हैं जिनके बारे में जानकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। नब्बे के दशक का मशहूर नैनी साहनी हत्याकांड हमेशा से ही सुर्खियों में रहा है, मगर इसकी पूरी कहानी शायद कम ही लोग जानते होंगे। एक ऐसा शख्स जिसने अपनी बीवी की  गोली मारकर हत्या करने के बाद उसकी लाश के अंगों पर मक्खन लगाकर तंदूर में भून डाला। करीब 23 साल तक जेल में रहने के बाद हत्यारे पति को कोर्ट ने बरी कर दिया।

पढ़िए 'तंदूर कांड' की पूरी दांस्तां...

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फ्लैशबैक से कहानी शुरु करते हुए हम आपको बताते हैं कि बीवी को बेरहमी से मौत के घाट उतारने वाला पति अपने अपराध की सजा काटने के बाद आम जिंदगी जी रहा है। 

जब पहले दिन तिहाड़ जेल पहुंचा तो वह खुदकशी करना चाहता था

तंदूर हत्याकांड में हाई कोर्ट के आदेश पर दिसंबर 2018 को  23 साल बाद तिहाड़ जेल से बाहर आए उम्रकैद की सजा काट चुके सुशील कुमार शर्मा ने कहा, मैंने कभी नहीं सोचा था कि जेल भी जाऊंगा। मैं स्वीकार करता हूं कि मुझसे गलती हुई और मुझे इसकी सजा भी मिली। इसमें एक शख्स ने अपनी जान गंवाई और दूसरे की जिंदगी मौत के समान बन गई थी। मुझे इस घटना से सीख मिली है और अब मैं आगे की जिंदगी में माता-पिता की सेवा करूंगा, क्योंकि गलती न होने के बावजूद उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा है। पत्नी नैना साहनी की हत्या के मामले में 23 साल तक सजा काटने वाले पूर्व कांग्रेस नेता सुशील शर्मा ने रविवार को लोधी रोड स्थित साई मंदिर में दर्शन किए। उसने कहा कि उसके छोटे भाई की 1978 में सड़क दुर्घटना में मौत हो चुकी थी और अदालत ने जब मुझे सजा सुनाई तो मेरे माता-पिता अकेले पड़ गए थे। सुशील ने कहा कि मेरे पिता को हमेशा लगता था कि क्या वह कभी अपने बेटे को जेल से बाहर देख पाएंगे। जेल के दिनों को याद करते हुए सुशील ने कहा कि जब पहले दिन तिहाड़ जेल पहुंचा तो वह खुदकशी करना चाहता था, लेकिन वहां पर दहेज हत्या के मामले में सजा काट रहे एक दिल्ली विकास प्राधिकरण के अधिकारी ने उसे गायत्री मंत्र का उच्चारण करने की सलाह दी। उसने पांच साल में पांच करोड़ बार गायत्री मंत्र का उच्चारण किया और इस दौरान विपश्यना भी किया। इसी वजह से वह खुद को मानसिक तनाव से बाहर लाने में कामयाब हो सके।

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इस दौरान उसने कई कैदियों से बातचीत की जिन्होंने अचानक गुस्से में अपराध किया था। तिहाड़ जेल में अपराधी और गैर अपराधी कैदी हैं और इसमें गैर अपराधी कैदियों की संख्या 90 फीसद है। उसने कहा कि अब वह वैवाहिक जीवन के तनाव के संबंध में युवाओं को जागरूक करेंगे। 

सुशील शर्मा ने 1995 में शक में पत्नी नैना साहनी की गोली मारकर हत्या कर दी थी। उसके बाद उनके शव के टुकड़े करके एक रेस्तरां के तंदूर में जला दिया था।

3 जुलाई, 1995 की उस रात में एक बज चुके थे। अतिरिक्त पुलिस आयुक्त मैक्सवेल परेरा के फोन की घंटी बजी। दूसरी छोर पर उप पुलिस आयुक्त आदित्य आर्य थे।  उन्होंने पहले तो देर रात फोन करने के लिए माफी मांगी और फिर बताया कि एक तंदूर में एक शव को जलाने की कोशिश की गई है। परेरा को माजरा समझने में कुछ समय लगा। उन्होंने आर्य पर सवालों की बौछार कर दी, 'क्या? आप होश में तो हैं? किसका शव? कहां? आप कहां हैं इस समय?' आर्य ने जवाब दिया, "मैं इस समय अशोक यात्री निवास होटल में हूं। यहां पर एक रेस्त्रां है बगिया। ये होटल के मुख्य भवन में न हो कर बगीचे में है। मैं वहीं से बोल रहा हूं। आप शायद फौरन मौके पर आना चाहेंगे?" जब मैक्सवेल परेरा अशोक यात्री निवास पहुंचे तो कनॉट प्लेस थाने के एसएचओ निरंजन सिंह, नैना साहनी की लाश का पंचनामा करवा रहे थे।

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परेरा बताते हैं, "बुरी तरह से जली हुई नैना साहनी की लाश बगिया रेस्त्रां के किचन के फर्श पर पड़ी थी। उसको एक कपड़े से ढका गया था। बगिया रेस्त्रां के मैनेजर केशव कुमार को पुलिस वालों ने पकड़ रखा था।" नैना के शरीर का मुख्य हिस्सा जल चुका था। लेकिन आग नैना का जूड़ा नहीं जला पाई थी। आग की गर्मी की वजह से उसकी आंतें पेट फाड़ कर बाहर आ गई थीं। अगर लाश आधे घंटे और जलती तो कुछ भी शेष नहीं रहता और हमें जांच करने में बहुत मुश्किल आती।"

जब नैना साहनी का शव जलाने में दिक्कत आई तो सुशील शर्मा ने बगिया के मैनेजर केशव को मक्खन के चार स्लैब लाने के लिए भेजा। उस समय कनॉट प्लेस थाने के एसएचओ निरंजन सिंह बताते हैं, "नैना साहनी के शव को तंदूर के अंदर रख कर नहीं बल्कि तंदूर के ऊपर रख कर जलाया जा रहा था, जैसे चिता को जलाते हैं।" हवलदार कुंजू ने सबसे पहले जली लाश देखी। उस रात 11 बजे हवलदार अब्दुल नजीर कुंजू और होमगार्ड चंदर पाल जनपथ पर गश्त लगा रहे थे।

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वो गलती से अपना वायरलेस सेट पुलिस चौकी पर ही छोड़ आए थे। तभी उन्हें अशोक यात्री निवास के प्रांगण से आग की लपटें और धुआं उठता दिखाई दिया। इस समय केरल के शहर कोल्लम में रह रहे अब्दुल नजीर कुंजू याद करते हैं, "आग देख कर जब मैं बगिया रेस्त्रां के गेट पर पहुंचा तो मैंने देखा कि सुशील शर्मा वहां खड़ा था और उसने गेट को कनात से घेर रखा था। जब मैंने आग का कारण पूछा तो केशव ने जवाब दिया कि वो लोग पार्टी के पुराने पोस्टर जला रहे थे।"

"मैं आगे चला गया। लेकिन तभी मुझे लगने लगा कि कुछ गड़बड़ जरूर है। मैं बगिया रेस्त्रां के पीछे गया और सात-आठ फीट की दीवार फलांग कर अंदर आया। वहां केशव ने फिर मुझे रोकने की कोशिश की। जब मैं तंदूर के नजदीक गया तो देखा कि वहां एक लाश जल रही थी।" कुंजू ने बताया कि, "जब मैंने केशव की तरफ देखा तो उसने कहा कि वो बकरे को भून रहा है। जब मैंने उसे बल्ली से हिलाया तो पता चल गया कि वो बकरा नहीं एक महिला की लाश थी। मैंने तुरंत अपने एसएचओ को फोन मिला कर इसकी सूचना दे दी।"

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अब सवाल उठता है कि सुशील शर्मा ने किन परिस्थितियों में नैना साहनी की हत्या की थी और हत्या से तुरंत पहले दोनों के बीच क्या-क्या हुआ था? निरंजन सिंह बताते हैं, "सुशील शर्मा ने मुझे बताया था कि हत्या करने के बाद उसने पहले बॉडी को पहले पॉलीथिन में लपेटा, फिर चादर में रैप किया। लेकिन वो उसे उठा नहीं पाया, इसलिए उसे ड्रैग करके नीचे खड़ी अपनी मारुति कार तक लाया।" 

"उसने उसे कार की डिक्की में तो रख लिया, लेकिन उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि उसे ठिकाने किस तरह लगाना है। पहले उसने सोचा कि वो लाश को निजामुद्दीन ब्रिज के नीचे यमुना नदी में फेंक देगा।" "लेकिन बाद में उसने ये विचार बदल दिया कि कोई उसे ऐसा करते हुए देख न ले। उसे ख्याल आया कि वो अपने ही रेस्तरां में लाश को जलाकर सारे सबूत नष्ट कर दे। उसने सोचा कि उसे ऐसा करते हुए कोई देखेगा नहीं और डेड बॉडी को ठिकाने लगा दिया जाएगा।"

निरंजन सिंह आगे बताते हैं, "सुशील शर्मा और नैना साहनी दोनों मंदिर मार्ग के फ़्लैट-8ए में मियां-बीबी की तरह रहते थे। लेकिन उन्होंने उस शादी को सब के लिए सामाजिक तौर पर उजागर नहीं किया था। नैना सुशील पर लगातार दबाव बना रही थी कि इस शादी को उजागर करो।"

"इस बात से दोनों में मनमुटाव शुरू हो गए। ये बात भी सामने आई कि नैना ने सुशील की आदतों और अत्याचारों से तंग आ कर अपने पुराने मित्र मतलूब करीम से मदद की गुहार की। वो ऑस्ट्रेलिया जाना चाहती थी। मतलूब करीम ने उसके ऑस्ट्रेलिया जाने में जो भी मदद हो सकती थी, की।"

"सुशील शर्मा को नैना साहनी पर शक हो गया। वो जब भी घर वापस आता था, वो घर के लैंड लाइन फोन को चेक करता था कि उस दिन नैना की किस किस से बात हुई है। घटना के दिन जब सुशील ने अपने घर पर लगे फोन को री-डायल किया तो दूसरे छोर पर मतलूब करीम ने फोन उठाया।"

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अगले दिन सुशील शर्मा पहले टैक्सी से जयपुर गया और फिर वहां से चेन्नई होते हुए बेंगलुरु पहुंचा। मैक्सवेल परेरा याद करते हैं, "सुशील ने चेन्नई में अपने संपर्कों के ज़रिए एक वकील अनंत नारायण से संपर्क किया और अग्रिम ज़मानत के लिए अदालत में अर्जी लगाई। इसके बाद वो अपना चेहरा बदलने के लिए तिरुपति चला गया और वहां पर अपने बाल कटवाने के बाद वापस चेन्नई आ गया।" "जब तक इस हत्या के बारे में पूरे भारत में हल्ला मच चुका था। लेकिन इसके बावजूद चेन्नई के जज ने उसे अग्रिम जमानत दे दी। मैंने एसीपी रंगनाथन को इस जमानत का विरोध करने के लिए चेन्नई भेजा। हम अतिरिक्त सॉलीसिटर जनरल केटीएस तुलसी को भी चेन्नई ले गए।"

"जैसे ही सुशील को हमारे प्रयासों के बारे में पता चला, वो सरेंडर करने के लिए अपने वकील के साथ बेंगलुरु चला गया। हमें इसकी ख़बर पीटीआई से मिली। मैंने खुद बेंगलुरु जाने का फ़ैसला लिया। उसकी दो वजहें थी। एक तो मैं खुद कर्नाटक का रहने वाला था और दूसरे मैंने कानून की पढ़ाई भी कर रखी थी।" "मैं अपने साथ निरंजन सिंह और क्राइम ब्रांच के राज महेंदर को भी ले गया। वहां से हम लोग सुशील की कस्टडी ले कर वापस दिल्ली आए।"

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इस पूरे मामले में बगिया रेस्त्रां का मैनेजर केशव कुमार सुशील शर्मा के साथ खड़ा नजर आया। उसने पहले तो अप्रूवर बनने से ये कहते हुए इंकार कर दिया कि सुशील के उस पर बहुत एहसान हैं। बाद में जब वो अप्रूवर बनने के लिए तेयार भी हुआ तो सुशील शर्मा ने उस पर ऐसा न करने के लिए दबाव बनाया। निरंजन सिंह बताते हैं, "केशव और सुशील दोनों ही तिहाड़ जेल में बंद थे। पहले तो केशव सुशील शर्मा के लिए बहुत वफादार था। लेकिन धीरे-धीरे जब उसने अप्रूवर बनने का मन बना लिया और सुशील को इस बात की ख़बर लगी, जब सुशील ने केशव को तिहाड़ जेल के अंदर ही डराना धमकाना शुरू किया।"

"एक घटना केशव ने मुझे अपनी पेशी के दौरान बताई कि उसे जेल में ही कोई नशीली दवाई दे दी गई। जब वो डेढ़- दो दिन तक नींद से ही नहीं उठा, तब जेल वॉर्डन को पता चला कि उसने डेढ़-दो दिनों से खाना भी नहीं खाया है। उसी दिन केशव को उस वॉर्ड से हटा कर दूसरे वॉर्ड में भेज दिया गया।" "केशव के मुताबिक ये काम सुशील शर्मा ने अपने आदमियों से करवाया था।"

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इस पूरे मामले में पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी सुशील शर्मा को अपने राजनीतिक संपर्क न इस्तेमाल करने देना। मामला इतना हाई प्रोफ़ाइल हो गया कि जांच के दौरान भारत के तत्कालीन गृह सचिव पद्मनाभैया खुद सुशील शर्मा और नैना साहनी के मंदिर मार्ग वाले फ़्लैट का मुआयना करने पहुंचे।

मैक्सवेल परेरा बताते हैं, "ऐसी भी ख़बरें आ रही थीं कि नैना के कुछ वरिष्ठ राजनीतिज्ञों से कथित रूप से संबंध थे। उस ज़माने में हमारे प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव हुआ करते थे। वो शायद इस बात से घबरा गए। उन्होंने इंटेलिजेंस ब्यूरो से उनके ऊपर जांच बैठा दी।" "राजनेताओं ने घबरा कर ग़लत-सलत बयान देने शुरू कर दिए। किसी ने कहा मैंने कभी नैना साहनी को देखा ही नहीं। दूसरे ने फ़र्माया, जब से मैंने दूसरी शादी की है, मैंने किसी महिला की तरफ़ नज़र उठा कर भी नहीं देखा।"  

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