[Edited By: Admin]
Saturday, 29th June , 2019 12:38 pm‘तेरे संग यारा’ ‘कौन तुझे यूं प्यार करेगा’ ‘मेरे रश्के-कमर’ ‘मैं फिर भी तुमको चाहूंगा’ जैसे दर्जनों मशहूर सुपरहिट गीतों को लिखने वाले मनोज ‘मुंतशिर’ ने फिल्मों में शायरी और साहित्य की अलख जगाए रखने वाले चुनिंदा कलमकारों में से एक हैं।
मनोज की किताब ‘मेरी फ़ितरत है मस्ताना’ पिछले दिनों आई तो चाहने वालों का उत्साह चरम पर पहुंच गया। मनोज की मानें तो उनकी किताब में बहुत दिल से लिखी गई कविताओं और गज़लों का संग्रह है। मनोज कहते हैं, ‘प्रेम में दो तरह के हादसे होते हैं। एक, जिसे हम चाहें वो न मिले। और दूसरा जिसे हम चाहें वो मिल जाए।’ वैसे तो इस संग्रह में दोनों ही हादसों से गुजरने की जोरदार आहटें हैं। लेकिन बिछोह की प्रेम कविताएं कुछ ज्यादा ही तीव्र प्रेम का अहसास कराती हैं।
मैं तुझसे प्यार नहीं करता / पर कोई ऐसी शाम नहीं जब मैं आवारा सड़कों पर तेरा / इंतज़ार नहीं करता...
बेमक़सद-सा मैं गलियों में मारा-मारा फिरता हूं / जिन रास्तों से वाकिफ़ हूं, वहीं ठोकर खा के गिरता हूं
मुझे कुछ भी ध्यान नहीं रहता कब दिन डूबा कब रात हुई / अभी कल की बात है, घण्टों तक मेरी दीवारों से बात हुई
जो होश ज़रा-सा बाक़ी है लगता है खोने वाला हूं / अफ़वाह उड़ी है यारों में मैं पागल होने वाला हूं
मैं तुझसे प्यार नहीं करता / पर शहर में जिस दिन तू ना हो ये शहर पराया लगता है / मैं बातें करूं फकीरों सी, संसार ये माया लगता है
वो अलमारी कपड़ों वाली लावारिस हो जाती है / ये पहनूं या वो पहनूं ये उलझन भी खो जाती है
मुझे ये भी याद नहीं रहता रंग कौन से मुझको प्यारे हैं / मेरी शौक़ पसन्द मेरी, बिन तेरे सब बंजारे हैं
मैं तुझसे प्यार नहीं करता / पर ऐसा कोई दिन है क्या / जब याद तुझे तेरी बातों को, सौ-सौ बार नहीं करता / मैं तुझसे प्यार नहीं करता!