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अब सरकारी दफ्तर में सभी कर्मचारियों को आना होगा कोरोना की नयी गाईडलाईन –केवल गर्भवती महिलाएं एवं दिव्यांग को छुट्टी

[Edited By: Vijay]

Wednesday, 26th January , 2022 11:17 am

उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस का संक्रमण कम होने के कारण अब सरकारी दफ्तरों में सभी कर्मचारियों को ड्यूटी पर आना होगा। सिर्फ गर्भवती महिलाओं व दिव्यांग कर्मचारियों को ही दफ्तर आने से छूट रहेगी। अभी तक एक दिन में 50 प्रतिशत कर्मचारियों को ही कार्यालय बुलाया जा रहा था। मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा की ओर से आदेश जारी कर वर्क फ्राम होम की व्यवस्था खत्म कर दी गई।

उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण बढ़ने के कारण बीती 13 जनवरी को आदेश जारी कर समूह ख, समूह ग व समूह घ के 50 प्रतिशत कर्मचारियों को कार्यालय बुलाए जाने और 50 प्रतिशत कर्मियों के घर से ही काम करने के आदेश जारी किए गए थे। इनके लिए साप्ताहिक रोस्टर तैयार किया गया था। यानि एक हफ्ते लगातार आने के बाद दूसरे हफ्ते कर्मचारी घर से काम करने के निर्देश दिए गए थे।

अब संक्रमण की स्थिति में हो रहे सुधार को देखते हुए फिर से शत प्रतिशत कर्मचारियों की उपस्थिति की व्यवस्था लागू कर दी गई है। जिन गर्भवती महिलाओं व दिव्यांग कर्मचारियों को अभी घर से काम करने की छूट रहेगी, वह अपना मोबाइल फोन आन रखेंगे। जरूरत के अनुसार इन्हें कार्यालय बुलाया जा सकता है।

बता दें कि यूपी में कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या लगातार घट रही है। पिछले आठ दिनों से मरीजों की संख्या लगातार घट रही है। 17 जनवरी को प्रदेश में कोरोना के 106616 रोगी थी और अब यह घटकर 86563 रह गए हैं। ऐसे में 20053 सक्रिय केस कम हुए हैं। इन मरीजों में से 84141 रोगी होम आइसोलेशन यानि घर पर अपना इलाज करा रहे हैं। अस्पतालों में 2422 मरीज भर्ती हैं।

बीते 24 घंटे में 1.99 लाख लोगों की कोरोना जांच की गई और अभी तक 9.83 करोड़ लोगों का कोरोना टेस्ट किया जा चुका है। मंगलवार को संक्रमण दर 5.8 प्रतिशत थी। उधर 15 मरीजों की कोरोना से मौत हुई। अब तक 23088 मरीजों की मौत संक्रमण से हो चुकी है। अब तक कुल 19.69 लाख लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं और इसमें से 18.59 लाख रोगी स्वस्थ हो चुके हैं। रिकवरी रेट अब 94.4 प्रतिशत है।

 मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि घर पर कोरोना का इलाज करा रहे रोगियों के परिवारीजनों से सीएम हेल्प लाइन की मदद से बातचीत की जाए और जरूरत के अनुसार दवा पहुंचाई जाए। किसी भी मरीज को इलाज में कोई कठिनाई न हो।

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