हर किसी शख्स में कोई न कोई टैलेंट जरूर होता है, बस उसे पहचानने और आकार देने भर की देरी है।
भारत देश में टैलेंट की कोई कमी नहीं है, मगर टैलेंट को साथ में रखकर किसी विषय पर भरपूर ज्ञान हासिल करना हर किसी के बस की बात नहीं होती। जिस उम्र में बच्चे अपने स्कूल की पढ़ाई और खेल-मस्ती में डूबे होते हैं उसी उम्र में एक लड़की स्कूली किताबों के अलावा धार्मिक किताबों को भी बड़े चाव और श्रद्धाभाव से पढ़ते थी। घर का कुछ माहौल ही ऐसा था कि उसने खुद को पूरी तरह धर्म और आध्यात्म में डुबो दिया। हम बात कर रह हैं मशहूर कथावाचक जया किशोरी की।
भारत की भूमि को यूं ही देव भूमि नहीं कहा जाता। लोगों का अपने धर्म और ईश्वर के प्रति इतना गहरा भाव और किसी भी देश में देखने को नहीं मिलता। यहां अनेकों ऐसे विद्यान हुए हैं जिन्होंने भारत की संस्कृति को आगे बढ़ाया है। अपनी मधुर वाणी और सुंदर मुस्कान के साथ किशोरी जब माइक के सामने कथा वाचन शुरू करती हैं तो हर कोई भावविभोर हो जाता है। जया किशोरी की उम्र इस समय पर करीब 23 साल है।
पूरा नाम : जया शर्मा
जन्म तिथि : 13 जुलाई 1996
जन्म स्थान : सुजानगड, राजस्थान
स्थायी पता : कोलकाता
पिता का नाम : राधे श्याम हरितपाल (शिव शंकर शर्मा)
माता का नाम : गीता देवी हरितपाल
बहुत ही कम उम्र में जया किशोरी ने दुनिया को ये दिखा दिया कि भगवान कहीं न कहीं हमारे साथ हैं। जया किशोरी के घर में माता-पिता, दादा-दादी, नाना-नानी सभी हैं।
जिस उम्र में जया को किताब के पन्नों को पलटना चाहिए, विद्यार्थी जीवन जीना चाहिए उस उम्र में जया ने भगवत गीता, नानी बाई का मायरो. नरसी का भात जैसी कथाएं सुनाई हैं। ऐसा नहीं है कि कथा के चलते जया ने पढाई छोड़ दी है वे आज भी समय निकाल कर पढ़ाई करती हैं। हाल ही में जया ने अपनी B.COM की पढाई पूरी कर ली है।
जया कोई साधु या संत नहीं हैं वे केवल एक साधारण स्त्री है और एक कथावाचक भजन गायिका हैं।
जया किशोरी का जन्म राजस्थान के सुजानगढ़ गांव में एक गौड़ ब्रह्माण्ड परिवार में हुआ था। जन्म के बाद ही उनके परिवारवालों को पता चला कि उनका जन्म चन्द्रवंश में हुआ है। बहुत ही किस्मत वालों को ऐसा अवसर प्राप्त होता है। जया ने कोलकाता के स्कूल महादेवी बिडला वर्ल्ड एकेडमी से स्कूली पढाई पूरी की है, जया किशोरी के घर में शुरू से ही भक्ति का माहौल रहा है।
जब जया केवल 6 साल की थीं तब से भगवान कृष्ण के लिए जन्माष्टमी पर विशेष पूजा करती थीं और 6 साल की उम्र में ही भगवान के प्रति उनका लगाव इतना था कि वे तभी से श्रीकृष्ण को अपना भाई बंधू मित्र सबकुछ मानने लगीं। जया ने 9 साल की उम्र में संस्कृत में लिंगाष्ठ्कम, शिव तांडव स्त्रोतम, रामाष्ठ्कम आदि कई स्त्रोतों को गाना शुरू किया और आज 2019 में भी उनके गीत सोशल मीडिया और टीवी चैनलों में काफी लोकप्रिय हैं।
10 साल की उम्र में ही जया ने सुन्दरकाण्ड गाकर लाखों भक्तों के दिलों में जगह बना ली। जया किशोरी अपने घर में भाई बहनों में सबसे बड़ी हैं उनकी एक छोटी बहन है। जया किशोरी की शादी अभी नहीं हुई है। जया किशोरी कभी नहीं चाहेंगी कि वो कथा करना छोड़ें और अभी वह शादी नहीं करना चाहतीं। जया की कथा के दौरान जो भी धन इकट्ठा होता है उसे नारायण सेवा ट्रस्ट में दान दे दिया जाता है जो की नारायण सेवा के अस्पताल में अपंग व्यक्तियों, बच्चों आदि के काम आता है।
जया की कथा सुनने उमड़ती है भीड़
जया किशोरी ने केवल 23 साल की उम्र में अपनी कथाओं और कीर्तन से अपनी लम्बी फॉलोअर लाइन बना ली है। जया किशोरी ने इतनी कम उम्र में जया से साध्वी जया किशोरी बन चुकी हैं। उनकी आवाज में कथा सुनने हजारों की भीड़ उमड़ पड़ती है। लाखों लोग उनके फॉलोअर हैं। उनके घर का नाम जया शर्मा था। गुरुजी बचपन में राधा कहते थे। भक्तों ने किशोरी नाम दे दिया। वे जब से कार्यक्रम करने लगीं तो सभी साध्वी जया किशोरी कहने लगे। जया किशोरी के दादाजी और दादीजी के साथ रहने और भक्ति का माहौल होने से बचपन में ही भगवान कृष्ण के लिए उनके मन में प्रेम जागृत हो गया। जया किशोरी 'नानी बाई का मायरा, नरसी का भात' कार्यक्रम करती हैं। जया किशोरी 5 साल की उम्र में ही ठाकुर जी के आगे भजन गाने लगी थीं। बताया जाता है कि गायक कुमार विशु गाना चल रहा था, "कभी प्यासे को पानी पिलाया नहीं...।" जिसे सुनकर जया भी गुनगुनाने और नाचने लगीं। इसके बाद से उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।