भारत में अगर प्रतिभावान युवाओं को मौका दिया जाए तो वो हमेशा कुछ बड़ा जरूर करते हैं। अपने अविष्कारों से एक अलग पहचान बना चुके जमशेदपुर के कामदेव ने इस बार मल्टी वॉट एलईडी बल्ब डिजाइन किया है, जो आवश्यकता अनुसार तीन अलग-अलग पावर की रोशनी देता है। कामदेव के बनाए मल्टी वॉट बल्ब स्विच ऑन-ऑफ करने पर 3, 9 और 12 पावर वॉट की रोशनी देता है। इसके साथ ही कामदेव ने कम कीमत वाला इंवर्टर बल्ब भी बनाया है, जिसे टॉर्च की तरह भी इस्तेमाल किया जा सकता है। कामदेव को अपने इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए सरकारी मदद का इंतजार है। उन्होंने पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त अमित कुमार से इस संबंध में मुलाकात की है।
इमरजेंसी लाइट बेचते थे कामदेव
झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिले के गम्हरिया प्रखंड स्थित सुदूर गांव बासुड़दा के रहने वाले 24 साल के कामदेव पान ऐसे ही एक व्यक्ति हैं, जो अपने हुनर से नाम रोशन कर रहे हैं। गांव के साधारण किसान परिवार से निकलकर कामदेव ने सुविधाओं एवं संसाधनों के नितांत अभाव में जीते हुए भी अपना लक्ष्य ऊंचा बनाए रखा और उसी के अनुरूप आगे बढ़े। पढ़ाई जारी रखने के साथ परिवार चलाने के लिए कामदेव साकची बाजार में इमरजेंसी लाइट बेचते थे। उसी समय बाजार में एलईडी लाइट आई थी। कामदेव ने फ्यूज एलईडी बनाने का काम शुरू किया। इसके बाद उन्होंने कम कीमत पर नया एलईडी बनाने की सोची और इस दिशा में काम शुरू कर दिया। बाजार में लोगों को अलग-अलग कमरों के लिए अलग-अलग वॉट के बल्ब खरीदते देखते थे। सोचा कि एक ही बल्ब पर आवश्यकता के अनुसार रोशनी मिले तो लोगों को अलग-अलग बल्ब नहीं खरीदना होगा। इसी सोच को उन्होंने हकीकत में बदल दिया।
बल्ब ऐसे करता है काम
एक ही एलईडी बल्ब से तीन अलग-अलग वॉट की रोशनी के लिए तीन आइसी (इंटीग्रेटेड सर्किट) का इस्तेमाल किया गया है। जिस प्रकार पंखे का रेगुलेटर काम करता है उसी प्रकार बल्ब में रेगुलेटर की जगह स्विच काम करता है। स्विच ऑन-ऑफ करने पर बल्ब अलग-अलग वॉट की रोशनी देता है।
बाजार में बढ़ने लगी मांग
कामदेव के बनाए बल्ब की मांग बाजार में बढ़ने लगी है। उन्होंने तीन अलग-अलग वॉट की रोशनी देने वाले मल्टी वॉट बल्ब की कीमत 200 रुपये और इंवर्टर बल्ब की कीमत भी 200 रुपये रखी है। कामदेव फिलहाल जमशेदपुर के साकची में अपनी पत्नी और बेटे के साथ रहते हैं। पांच भाइयों में सबसे छोटे कामदेव के पिता विश्वनाथ पान गांव में खेती करते हैं।
कामदेव ने इंटरमीडिएट पास करने के बाद गांव छोड़ दिया और एलईडी लाइट बनाकर हाट में बेचना शुरू किया। इस बीच झारखंड के बासुकीनाथ जाने का मौका मिला, जहां एक बाइक देखी। यह दिखती तो थी बाइक की तरह, लेकिन उसका आकार साइकिल जैसा था। गाड़ी बैटरी से चलती थी और उससे धुआं भी नहीं निकलता था। इसके बाद जमशेदपुर आकर उन्होंने 15 सौ रुपये में एक सेकेंड हैंड साइकिल खरीदी और उसे मोटरसाइकिल का आकार देना शुरू कर दिया। 45 दिनों में यूपीएस की बैटरी और योयो मोटर का इस्तेमाल करते हुए अपनी साइकिल को मोटरसाइकिल बना डाली।
चोरी से बचाने के लिए सेंसर लगाया : चोरों से बचने के लिए कामदेव ने अपनी साइकिल में सेंसर लगाया है। कोई साइकिल छूता है तो जोर की आवाज निकलती है। उस साइकिल को वह चाभी से स्टार्ट करते हैं। उसमें दाएं-बाएं मुड़ने का इंडीकेटर भी लगा है। चाभी लगाने के साथ ही साइकिल ऑन हो जाती है। फिर एक्सीलेटर बढ़ाने पर वह चलने लगती है। कामदेव ने बताया कि एक बार फुल बैटरी चार्ज होने के बाद वह 30 किलोमीटर तक चल सकती है। तकनीकी खामी आने पर पैडल भी मारकर चलाया जा सकता है।