[Edited By: Admin]
Tuesday, 25th June , 2019 01:35 pmशाहिद कपूर की फिल्म 'कबीर सिंह' के खिलाफ डॉक्टरों ने मोर्चा खोल दिया है। मुंबई के एक डॉक्टर ने सेंसर बोर्ड, ब्रॉडकास्टिंग मिनिस्ट्री, सेंट्रल हेल्थ मिनिस्ट्री से इस फिल्म को जल्द से जल्द सिनेमाघरों से हटाने की मांग की है। डॉ. प्रदीप गद्रे मुंबई के मशहूर डॉक्टरों में से एक हैं। उन्होंने अपना एक मांग पत्र स्वास्थ्य और चिकित्सा मंत्रालय को भेजा जिसमें उन्होंने कबीर सिंह को लेकर कहा कि यह फिल्म डॉक्टरों की छवि को बिगाड़ रही है। वह अपने तमाम डॉक्टर साथियों के साथ इस फिल्म का तब तक विरोध करते रहेंगे जब तक इस फिल्म को लेकर कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हो जाती।
2. फिल्म में डॉ. कबीर सिंह को एक शानदार सर्जन के रूप में दिखाया गया है जो खुद एक मनोरोगी है। वह महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार करता है। वह न तो सीनियर का सम्मान करता है और न ही जूनियर्स का। वह खुद भीषण नशे में रहकर ऑपरेशन थिएटर में नर्सों को डायरेक्शन देता है। एक डॉक्टर शराब पीकर काम कैसे कर सकता है अगर हम तार्किक रूप से बोलें और तो थोड़ा सामान्य ज्ञान का उपयोग कर लें हम इस तथ्य से पूरी तरह सहमत हैं कि यह वास्तविकता नहीं हो सकती।
3. 154 मिनट की फिल्म में 120 मिनट तक डॉ. कबीर सिंह या तो शराब पीता है या कोकीन-मॉर्फिन सुई से खुद को इंजेक्ट करता है। लोगों से लड़ना, अपनी प्रेमिका को थप्पड़ मारना
या उस पर चिल्लाना बस यही पूरी फिल्म का निचोड़ है। अगर हम अपने युवाओं को कोई सीख देना चाहते हैं तो यह फिल्म बहुत खतरनाक है।
4. डॉक्टर बनना केवल पेशा ही नहीं बल्कि सेवा भी है। मगर इस फिल्म में डॉक्टर की एक अलग तरह की मानसिकता दिखाई गई है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि आज के जमाने के युवा, चिकित्सा पेशे में बहुत कम संख्या में आ रहे हैं। ऐसी फिल्में उनके मन को ठेस पहुंचाएंगी जो डॉक्टर बनना चाहते हैं।
5. एक डॉक्टर को शालीन होना चाहिए उसे मरीजों से रिश्ते बनाकर रखने चाहिए मगर इस फिल्म में बिल्कुल उल्टा-पुल्टा दिखाया गया है।