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अनिल अंबानी अरबपतियों के क्लब से बाहर, सबकुछ उल्टा-पुल्टा होने की ये हैं 10 वजह

[Edited By: Admin]

Wednesday, 19th June , 2019 12:45 pm

11 साल पहले दुनिया के चंद अमीरों में शुमार अनिल अंबानी की रिलायंस ग्रुप की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं। हाल ही में खबर आई कि अनिल अंबानी बिलेनियर क्‍लब की सूची से बाहर हो गए। अब चीन के बैंकों की ओर से अनिल अंबानी को एक नई टेंशन दे दी गई है। रिलायंस कम्युनिकेशंस के चेयरमैन अनिल अंबानी अरबपतियों के क्लब से बाहर हो गए हैं। साल 2008 में अनिल अंबानी को दुनिया का 6वां सबसे अमीर शख्स बताया गया था।

11 साल में इतनी घटी संपत्तिः बिजनेस टुडे की खबर के अनुसार साल 2008 में अनिल अंबानी के पास 42 बिलियन डॉलर की संपत्ति थी, जो 11 साल बाद यानी 2019 में घटकर 523 मिलियन डॉलर यानी करीब 3651 करोड़ रुपये हो गई है। बता दें कि इस संपत्ति में गिरवी वाले शेयर की कीमतें भी शामिल हैं।

8,000 करोड़ रुपये आंकी गई थी रिलायंस ग्रुप की पूंजी
चार महीने पहले रिलायंस ग्रुप की पूंजी आठ हजार करोड़ रुपये आंकी गई थी। मार्च 2018 में रिलायंस ग्रुप का कुल कर्ज 1.7 लाख करोड़ रुपये था। पिछले सप्ताह अनिल अंबानी ने कहा था कि बीते 14 महीनों में उनके समूह ने 35 हजार करोड़ रुपये की देनदारी को चुकाया है। इसके अलावा कंपनी आगे भी अपनी देनदारी को समय-समय पर चुकाती रहेगी। निवेशकों को भरोसा देते हुए अनिल ने कहा था कि एक साल में कंपनी 24, 800 करोड़ रुपये का मूलधन और 10,600 करोड़ रुपये का ब्याज वापस कर चुकी है।

रिलायंस कम्युनिकेशंस पर है सबसे ज्यादा कर्ज
मौजूदा समय में अनिल अंबानी की रिलायंस कम्युनिकेशंस पर सबसे ज्यादा यानी 47,234 करोड़ रुपये का कर्ज है। रिलायंस कैपिटल पर 46,400 करोड़ रुपये का कर्ज है। वहीं रिलायंस होम फाइनेंस और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर पर क्रमश: 13,120 और 23,144 करोड़ रुपये का कर्ज है। इसके साथ ही रिलायंस पावर पर 31,697 करोड़ रुपये का कर्ज बकाया है। अंबानी की रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग पर 10,689 करोड़ रुपये का कर्ज है।

7,539 करोड़ रुपये है रिलायंस समूह का बाजार पूंजीकरण
11 जून तक रिलायंस समूह का बाजार पूंजीकरण 7,539 करोड़ रुपये था। अनिल अंबानी की कंपनियों में से सबसे अधिक बाजार पूंजीकरण रिलायंस कैपिटल का है, जो 2,373 करोड़ रुपये है। वहीं रिलायंस कम्युनिकेशंस और रिलायंस पावर का बाजार पूंजीकरण क्रमश: 462 और 1,669 करोड़ रुपये था। रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग की बात करें, तो 11 जून तक इस कंपनी का मार्केट कैप 467 करोड़ रुपये था। रिलायंस होम फाइनेंस का पूंजीकरण 860 करोड़ रुपये, वहीं रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर का बाजार पूंजीकरण 1708 करोड़ रुपये है।

चीन के कुछ बैंकों का अनिल अंबानी पर 2.1 बिलियन डॉलर से अधिक यानी भारतीय रुपये के हिसाब से करीब 15 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है। ये कर्ज चीन के चाइना डेवलपमेंट बैंक, एग्जिम बैंक और ICB ने दिए हैं।

अंबानी को चाइना डेवलपमेंट बैंक का करीब 1.4 बिलियन डॉलर का कर्ज चुकाना है। इसी तरह एग्‍जिम बैंक ऑफ चीन 3.3 हजार करोड़ रुपये की मांग कर रहा है जबकि अनिल अंबानी को ICB बैंक के 1.5 हजार करोड़ रुपये का कर्ज चुकाना है। अनिल अंबानी के पूरे कारोबार साम्राज्य की बात करें तो अभी 523 मिलियन डॉलर यानी करीब 3,651 करोड़ रुपये की संपत्ति रह गई है। हालांकि अंबानी की इस संपत्ति में गिरवी वाले शेयर की कीमतें भी शामिल हैं।अगर इसे अलग कर दें तो अनिल अंबानी की संपत्ति 765 करोड़ रुपये (109 मिलियन डॉलर) से भी कम है।इससे पहले करीब 4 महीने पहले अनिल अंबानी की रिलायंस ग्रुप की कुल कीमत 8,000 करोड़ रुपये आंकी गई थी।

अगर रिलायंस ग्रुप के कुल कर्ज की बात करें तो 1 लाख करोड़ रुपये से ज्‍यादा है। मार्च 2018 के आंकड़ों के मुताबिक रिलायंस ग्रुप के रिलायंस कैपिटल पर 46, 400 करोड़ रुपये का कर्ज है। इसी तरह आरकॉम 47 हजार 234 करोड़ रुपये के कर्ज में डूबी है। रिलायंस होम फाइनेंस और इंफ्रा के कुल कर्ज 36 हजार करोड़ रुपये हैं।इसी तरह रिलायंस पावर पर 31 हजार करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है।

मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि रिटेल इन्वेस्टर्स को इन शेयरों से दूर रहना चाहिए। इंडिपेंडेंट मार्केट एक्सपर्ट संदीप सभरवाल ने कहा, ‘इस ग्रुप की सिर्फ एक कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस के लिए सिस्टेमैटिक रिस्क है और उसका मामला दिवालिया अदालत में पहुंच चुका है। ग्रुप की दूसरी कंपनियों से मार्केट के लिए सिस्टेमैटिक रिस्क नहीं है। इन कंपनियों से कोई बड़ा संस्थागत निवेशक नहीं जुड़ा है और सिर्फ छोटे निवेशक इनमें ट्रेडिंग कर रहे हैं और उन्हें नुकसान हो रहा है।’

अनिल अंबानी ग्रुप के सभी स्टॉक्स में पिछली कुछ तिमाहियों में छोटे निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ी है। सितंबर 2018 तिमाही में रिटेल इन्वेस्टर्स के पास रिलायंस कम्युनिकेशंस के 21.4 पर्सेंट शेयर थे, जो मार्च 2019 तिमाही तक 37.15 पर्सेंट तक पहुंच गए थे। रिलायंस पावर में भी इस दौरान उनकी हिस्सेदारी 12.6 पर्सेंट से बढ़कर 20.94 पर्सेंट हो गई थी। इंडिपेंडेंट मार्केट एक्सपर्ट अंबरीश बलिगा ने बताया, ‘ऐसे शेयरों में वॉल्यूम अधिक रहता है क्योंकि ट्रेडर्स इनसे फटाफट मुनाफा कमाने की फिराक में रहते हैं। लॉन्ग टर्म इन्वेस्टर्स को ऐसे शेयरों से दूर रहना चाहिए।’

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