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दिल्ली के सभी जिलों में एक नया सीरोलॉजिकल सर्वे

[Edited By: Rajendra]

Saturday, 27th June , 2020 03:15 pm

कोरोना के वायरस का फैलाव किस हद तक रहा है, कितने लोग उसकी जद में आए हैं और कितने लोगों के शरीर में इस वायरस से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो चुकी है, इसका आकलन करने के लिए शनिवार से दिल्ली के सभी जिलों में एक नया सीरोलॉजिकल सर्वे शुरू होने जा रहा है।

इसके लिए सभी जिलों के डीएम ने अपने जिले के चीफ डिस्ट्रिक्ट मेडिकल ऑफिसरों की देखरेख में टीमें तैयार कर दी हैं। ये टीमें चुनिंदा इलाकों में जाकर सैंपल कलेक्ट करेंगी, जिनकी जांच के नतीजों के आधार पर यह पता चलेगा कि कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडीज किस तरह डिवेलप हो रही हैं और उनके डिवेलप होने की दर क्या है?

सूत्रों के मुताबिक, गृह मंत्रालय के निर्देश पर एनसीडीसी (नैशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल) यह सर्वे करवा रही है, जिससे पता चलेगा कि दिल्ली में कोरोना के वायरस के खिलाफ हर्ड इम्युनिटी किस स्तर तक डिवेलप हो चुकी है। इसके लिए पूरी दिल्ली से करीब 20 हजार सैंपल कलेक्ट किए जाएंगे। हर जिले से 800 से 1000 के करीब सैंपल कलेक्ट किए जाएंगे। इसके लिए जिले के चीफ मेडिकल ऑफिसर की देखरेख में टीमें अलग-अलग इलाकों में लोगों के घर जाएंगी और रैंडम तरीके से घरों को चुनकर वहां रहने वाले लोगों के ब्लड सैंपल कलेक्ट करेंगी।

हालांकि यह काम उतना आसान नहीं होगा, क्योंकि कितने लोग सैंपल देने के लिए स्वेच्छा से तैयार होंगे, उस पर काफी कुछ निर्भर करेगा। सर्वे के लिए टीमें सिर्फ उन्हीं इलाकों में जाएंगी, जिनकी लिस्ट एनसीडीसी की तरफ से जिलों के डीएम को सौंपी गई है। ब्लड सैंपल की जांच करके आधे घंटे में यह पता लगाया जा सकेगा कि जिस व्यक्ति का सैंपल लिया गया है, उसके अंदर हर्ड इम्युनिटी विकसित हुई है या नहीं। सैंपल की जांच के लिए एक विशेष किट का इस्तेमाल किया जाएगा। सभी सैंपल्स की जांच के आधार पर एनसीडीसी एक रिपोर्ट तैयार करके सरकार को सौंपेगी।

सूत्रों ने बताया कि अगर कोई व्यक्ति कोरोना की चपेट में आता है, लेकिन उसके अंदर कोई लक्षण नहीं उभरता है, तो ऐसे लोगों के शरीर में 5-7 दिन के अंदर अपने आप एंटीबॉडी बनना शुरू हो जाती हैं, जो वायरस को शरीर में पनपने नहीं देती हैं। सर्वे के माध्मय से इन्हीं एंटीबॉडीज की जांच करके यह पता लगाया जाएगा कि दिल्ली में कौन कौन से ऐसे इलाके हैं और ऐसी कितनी आबादी है, जहां लोगों को कोरोना हुआ, मगर वो अपने आप ठीक भी हो गए। इससे वायरस के प्रसार और उसकी क्षमता का पता लगाने में भी मदद मिलेगी।

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